अयोध्या में रामलला का पहला सूर्यतिलक: जाने किस तकनीक से संभव हो पाई विशेष घटना, पूरी जानकारी !

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अयोध्या

अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला की भव्य समारोह में प्राण प्रतिष्ठा हुई, 17 अप्रैल को राम नवमी के दिन रामलला का पहला जन्मदिन था जिसे पूरे देश में एक उत्सव के रूप में मनाया गया रामलला के मस्तक पर 3 मिनट तक सूर्य तिलक किया गया जिसे पूरे देश के साथ वहां मौजूद लाखों लोगों ने अपनी आंखों से देखा।

17 अप्रैल बुधवार को रामनवमी के दिन रामलला के ‘सूर्य तिलक’ का आयोजन किया गया उनके मस्तक के केंद्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सूर्य के प्रकाश पुंज से अभिषेक किया गया मंदिर में प्रस्तुत हर कोई इस यादगार क्षण को अपने पास सहेज कर रखना चाहता था।

जिसे ऐसा करने का अवसर मिला उसने अपने जीवन को धन्य समझा, जिसे प्रत्यक्ष अवसर नहीं मिला वह एलईडी स्क्रीन और मोबाइल पर अभिभूत करने वाले इस पल का  साक्षी बन रहा था, 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूरे देश का केंद्र बिंदु एक बार फिर से रामलला और अयोध्या थे।

इस अवसर को जीवंत करने के लिए राज्य सरकार की पहले से तैयारी थी संपूर्ण अयोध्या को सजाया गया क्योंकि इस रामनवमी पर रामलला के प्रथम जन्मदिवस पर भव्य सूर्यतिलक का आयोजन होना था, ये अवसर इसलिए भी विशेष था क्योंकि 5 शताब्दी के बाद हर आस्थावान हिंदू के जीवन में ये पल आया था।

भगवान रामलला को ये विशेष उपहार उनके पहले जन्मदिवस पर दिया गया, लेकिन ये काम मुश्किल था क्योंकि इस योजना के लिए सभी के विचार समान नहीं थे, कुछ लोगों का मत था कि मंदिर अभी पूरा नहीं हुआ है, इसलिए सूर्यतिलक का कार्यक्रम बाद में रखा जाना चाहिए।

लेकिन अयोध्या के संत समाज ने ये कहकर कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्र विधिविधान अनुसार की गई है और पूजा सेवा भी प्रतिदिन चल रही है इसलिए सूर्यतिलक का आयोजन पहले जन्मदिवस पर ही होना चाहिए इस आयोजन को अपनी सम्मति दे दी और रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र की अनुमति के बाद केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रूड़की और बेंगलुरु के वैज्ञानिकों की टीम ने ‘सूर्यतिलक’ के प्रोग्राम पर तैयारी प्रारंभ कर दी।

Suryatilak

रामलला का सूर्य तिलक एक चुनौती

रामलला के सूर्यतिलक का कार्य आसान नहीं था इसमें सूर्य की किरणों को मंदिर के ऊपर मंजिल से विशेष उपकर्णो के मध्यम से पृथ्वी की गति को ध्यान में रखते हुए गर्भ गृह में विराजित रामलला के मस्तक पर केन्द्रित करना था जिसमें सभी उपकर्णो का एक साथ कार्य करना जरूरी था।

सूर्यतिलक में किसकी क्या भूमिका रही?

गर्भ गृह में सूर्य की किरणें लाने के लिए CSIR-CBRI रूड़की ने ‘Suryatilak Mechanism’ विकसित किया, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) ने तंत्र की ऑप्टिकल डिजाइन तैयार की, इस कार्य को सार्थक करने के लिए झुकाव तंत्र, पाइप, ऑप्टिकल तत्व के निर्माण का कार्य Optics and Allied Engineering Pvt Ltd (Optica) बैंगलोर ने किया।

OM

‘Suryatilak Mechanism’ ने कैसे काम किया?

पीतल के पाइप में विशिष्ट कोण पर 4 लेंस और 4 दर्पणों को रखा गया जिससे सभी लेंस और दर्पण पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें एक एकल(single)सूर्य किरण में परिवर्तित हो गईं सूर्य की किरणों के प्रकीर्णन(dispersal) को रोकने के लिए पाइपों के जोड़ों पर काला पाउडर लगा दिया गया।

सभी सूर्य की किरणों का संयोजन होकर रामलला के मस्तक के केंद्र पर पड़ने लगी रामलला के मस्तक को सूर्य की किरणों की गर्मी से बचाने के लिए इंफ्रा- रेड फिल्टर ग्लास का उपयोग किया गया फलस्वरूप 58 मिमी का सूर्य तिलक 3 मिनट तक रामलला के मस्तक को सुशोभित करता रहा।

Ram Lala

रामलला के सूर्य तिलक के लिए विशेष रूप से बनाये गए ‘ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम’ को सफल करने के लिए-

  • CSIR(council of scientific and Industrial Research)-CBRI (central Building research Institute), रूड़की
  • IIA (Indian Institute of Astrophysics), बेंगलुरु
  • Optica (Optics & allied Engineering Pvt Ltd) बेंगलुरु के साथ अप्रैल के पहले सप्ताह में कई बार टेस्ट किए।

श्री रामलला का सूर्य तिलक रामनवमी के दिन अभिजीत मुहूर्त में 12 बजकर 01 मिनट पर किया गया इससे पहले प्रातः काल रामलला का पंचामृत(कच्चा दूध, घी, दही, गंगा जल, शहद) से अभिषेक किया गया गुलाबी वस्त्र धरण कराए गए मणि माणिक्य हीरे पन्ने के आभूषणों से सजाया गया।

रामलला के सूर्य तिलक के बाद 56 भोग प्रस्तुत किए गए, सुंदर संगीत और भजन का आनंद रामलला ने लिया सूर्य तिलक के समय कृत्रिम लाइट्स को बंद कर दिया गया। अयोध्या में इस दुर्लभ अवसर का साक्षी बनने के लिए लाखों की संख्या में भक्त पहुंचे पीएम मोदी ने सूर्य तिलक को लैपटॉप पर देखा।

PM Modi

FAQs:

Q: रामलला को ‘सूर्य तिलक’ कब किया गया?

A: अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र में विराजित रामलला के प्रथम जन्मदिवस 17 अप्रैल को राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजकर 1 मिनट पर शुभ अभिजीत मुहूर्त में भव्य ‘सूर्य तिलक’ समारोह का कार्यक्रम किया गया।

Q: रामलला की आयु कितनी है?

A: रामलला बाल रूप में है इनको बालक राम भी कहा जाता है 5 वर्ष के रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की गयी।

Q: रामलला को क्या पसंद है?

A: रामलला बाल रूप में है इसलिए उन्हें माखन मिश्री और बेसन के लड्डू का भोग लगाया जाता है।

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