महाशिवरात्रि कब है, कैसे मनाये ?शिव मंत्र जाप विधि और पौराणिक महत्तव

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महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो भगवान शिव को समर्पित है ये हर साल फरवरी या मार्च के बीच मनाया जाता है, फाल्गुन या माघ महीने के कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन महाशिवरात्रि मनाया जाता है इस दिन भगवान शंकर और भगवती पार्वती का विवाह आयोजित किया जाता है  इस अवसर पर भगवान शिव अदभुत नृत्य करते हैं जिसे तांडव कहते हैं।

इस दिन लोग भगवान शिव का स्मरण करते हैं प्रार्थना करते हैं उपवास करते हैं दूसरों को कष्ट न देनेकी शपथ लेते हैं और अगर किसी को कष्ट पहुंचाते हैं तो उसका प्रायश्चित करते हैं । महाशिवरात्रि के दिन दान, क्षमा, और भगवान शिव की खोज जैसी आध्यात्मिक लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है, इस रात जागरण होता है, लोग उपवास पूरा करने से पहले नजदीकी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव के दर्शन करते हैं, या ज्योतिर्लिंगो के दर्शन के लिए तीर्थयात्रा करते हैं।

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म की शैव परंपरा में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है अन्य हिंदू त्योहारों के विपरीत महा शिवरात्रि रात्रि का त्योहार है महाशिवरात्रि सांस्कृतिक उल्लास को व्यक्त करता है।महाशिवरात्रि ध्यान, आत्मनिरीक्षण, उपवास, आत्म- अध्ययन और संपूर्ण रात्रि भगवान शंकर के मंदिर में जागरण का एक महत्वपूर्ण और आनंद से भर देने वाला दिन होता है।

महाशिवरात्रि 2024 शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त

उत्तर भारत में महाशिवरात्रि कैसे मनाते हैं?

महा शिवरात्रि पर्व उत्तर भारत के लिए विशेष आस्था और उमंग लेकर आता है हजारों की संख्या में शिव भक्त कांवर लेकर तीर्थो से पवित्र गंगा जल लेने के लिए निकलते हैं कांवर उठाने वाले शिवभक्त को ‘भोला’ शब्द से संबोधित किया जाता है, ये समूह में अपने गांव या कस्बे से निकलते हैं और पेडल ही लंबी यात्रा करके तीर्थ से गंगाजल लेकर महाशिवरात्रि से एक दिन पहले या शिवरात्रि के दिन ही अपने गांव या पहले से संकल्पित शिव मंदिर में भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करते है और मनोकामना माँगते हैं या मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में शिव मूर्ति पर जल चढ़ाते हैं।

भगवान शंकर

कांवर उठाने का संकल्प लिया जाता है और इसके कड़े नियम होते हैं महा शिवरात्रि से लग्भग 8-10 दिन पहले से तीर्थ क्षेत्र हरिद्वार आदि स्थान के लिए कांवरिये जल लेने के लिए निकल पड़ते हैं सड़क और हाईवे पर बड़ा ही मनोहरी दृश्य दिखता है। सभी कांवरियों की एक जैसी पोशाक और पेरों में घुंघरू भगवान शंकर का स्मरण कराने के लिए पर्याप्त होता है।

महाशिवरात्रि प्रार्थना और जागरण का मिश्रण है क्योंकि शैब हिंदू इस रात को भगवान शिव के माध्यम से अंधकार और अज्ञान को नियंत्रित करने के रूप में मनाते हैं भगवान शिव को धतूरा, बेलपत्र ,बेर, कच्चा दूध, गंगाजल, पुष्प चढ़ाया जाता है, कुछ लोग भगवान शिव की वैदिक या तांत्रिक पूजा करते हैं और उपवास करते हैं, कुछ लोग योग और ध्यान करते हैं शिव मंदिरो में पूरा दिन भगवान शिव के पवित्र पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय का पाठ किया जाता है।

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि के महत्व को अलग-अलग ग्रंथों में बताया गया है ये वह रात्रि है जब भगवान शिव सृजन संरक्षण, और विनाश का नृत्य करते हैं इस अवसर पर भजनों का गायन, शिव ग्रंथों का पाठ और भक्तों का समूह इस लौकिक नृत्य में शामिल होता है और हर जगह भगवान शिव की उपस्थिति को प्रणाम करता है।

एक अन्य कथा के अनुसार यहीं वह रात्रि है जब भगवान शंकर और देवी पार्वती का विवाह हुआ था किसी भी पिछले पाप को दूर करना, एक पुण्य पथ फिर से शुरू करना, मुक्ति के लिए कैलाश पर्वत तक पहुंचने का ये विशेष अवसर है।

 ये भी माना जाता है कि इस विशेष दिन भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरन उत्पन्न हलाहल को पी लिया और उसे अपने कंठ रख लिया और वे नीला हो गया परिनाम स्वरूप उन्हें नीलकंठ विशेषण प्राप्त हुआ ये भी मन जाता है प्रसिद्ध नीलकंठ महादेव मंदिर की वे स्थान है जहां ये घटना हुई थी।

महाशिवरात्रि के मंत्र

ओम नमः शिवाय।

इस मंत्र का जाप सभी को दुख देता है, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और जापक पर भगवान की असीम कृपा बरसती है, ओम नमः शिवाय मंत्र का कोई भी समय जाप किया जा सकता है, जाप हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धी मही तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।

ये शिव गायत्री मंत्र है जिसका जप करने से मनुष्य का कल्याण संभव है पवित्र भाव के साथ विधि पूर्व शिव गायत्री मंत्र का जाप करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है अकाल मृत्यु तथा गंभीर बिमारियो से मुक्ति के लिए शिव गायत्री मंत्र का प्रतिदिन एक माला का जप अत्यंत ही शुभ होता है।

जिन जातकों की जन्म कुंडली में काल सर्प योग हो या राहु, केतु और शनि ग्रह पीड़ा दे रहे हों उन्हें शिव गायत्री मंत्र का जाप करने की शास्त्र द्वारा सलाह दी जाती है।

महामृत्युंजय जप

जाप शिव पुराण के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र के जाप से व्यक्ति को संसार के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मर्त्योर्मुक्षीय माम्रतत्।।

अर्थ हम भगवान शिव की उपासना करते हैं जिनके तीन नेत्र हैं जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

महामृत्युंजय जप के फायदे

  • इस मंत्र के जाप से भगवान शिव सदैव प्रसन्न रहते हैं और जापक को बहुत धन धान्य की कमी नहीं रहती है।
  • महामृत्युंजय मंत्र के जाप से रोगो का नाश हो जाता है और मनुष्य निरोगी बनता है।
  • इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य की अकाल मृत्यु का भय समापत हो जाता है।
  • जिस भी मनुष्य को धन-धान्य पाने की इच्छा हो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

महाशिवरात्रि की अन्य मान्यताएं

1.ईशान संहिता के अनुसार महाशिवरात्रि को भगवान शंकर के प्रकटोत्सव या जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है इसी दिन भगवान शिव निराकार से साकार हुए थे।

2.इसी दिन भगवान शिव ब्रह्माण्ड को अपनी तृतीया नेत्र से भस्म करते हैं इसीलिये महाशिवरात्रि को जलरात्रि या प्रलयरात्रि भी कहते हैं।

3.भगवान शंकर और भगवती पार्वती के विवाह दिवस के रूप में महाशिवरात्रि को मनाने की मान्यता है।

4.महाशिवरात्रि पर रात्रि में ध्यान और साधना द्वार आत्मबोध प्राप्त किया जाता है इसलिए महाशिवरात्रि को बोधोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

5.फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी पर जीवन रूप चंद्रमा का सूर्यरूप शिव से मिलन होता है क्योंकि इस दिन चंद्रमा और सूर्य की दूरी कम हो जाती है।

6.भगवान शंकर का जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक और रुद्राभिषेक और रात्रि के चौथे प्रहर में पूजा की जाती है।

7.महाशिवरात्रि पर शंकर जी की पालकी सजाकर बारात निकलती है और रात्रि में शिव कथा का आयोजन होता है।

FAQs:

Q: महाशिवरात्रि के दिन क्या नहीं करना चाहिए।

A:1.मीट और मदिरा को नहीं लेना चाहिए।

  1. भगवान शंकर पर कमल और केतकी नहीं अर्पित करनी चाहिए।

3.शिवलिंग पर नारियल जल नहीं चढ़ाना चाहिए।

4.महाशिवरात्रि पूजा में तुलसीदल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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