तमिल लोग आज हनुमान जयंती मना रहे हैं आज गुरुवर 11 जनवरी पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है तमिलनाडु वह स्थान है जहां तमिल हनुमान जयंती मुख्य रूप से मनाई जाती है और ये एक ऐसा दिन जिसे वहां बहुत सम्मान और श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है।
इस दिन मनाई जाने वाली एक और छुट्टी आंजनेयर जयंती है, तमिलनाडु में हनुमान जयंती जयदातार तमिल कैलेंडर के अनुसार मूलम पर मनायी जाती है भगवान हनुमान का जन्म मार्गशीर्ष अमावस्या को सूर्योदय के समय मूलम् नक्षत्र में हुआ था इस दिन को हिंदू धर्म के मुख्य त्यौहारो में से एक माना जाता है और इसका अत्याधिक महत्व है।
तमिल हनुमान जयंती 2024 शुभ मुहूर्त:
हनुमान जयंती कैसे मनाते हैं?
उत्तर भारत में चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है जबकी दक्षिण (तमिलनाडु) में पौष अमावस्या को हनुमान जयंती का उत्सव होता है इस दिन भक्त लोग उपवास करते हैं और भगवान हनुमान से प्रार्थना करते हैं। और उनका आशीर्वाद माँगने के लिए उनके मंदिरो में जाते हैं।
भगवान राम के एक समर्पित सेवक के रूप में हनुमान जी प्रेम और प्रतिबद्धता से जुडे हैं भगवान हनुमान,शक्ति और बल के साथ दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत का प्रतीक हैं भगवान हनुमान शक्ति, निष्ठा और अपार बुद्धि संपन्न हैं, इस शुभ अवसर पर भक्त भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रामायण का पाठ करते हैं, हनुमानजी के बारे में ऐसा माना जाता है कि वे हर उस जगह पर मौजूद रहते हैं जहां लोग राम नाम जप करते हैं।
इस अवसर पर भक्त सुंदर कांड पाठ का भी आयोजन किया जाता है हनुमानजी को समर्पित आंजनेय मंदिर में कई अनुष्ठान किए जाते हैं लोग गरीबो को मुफ्त भोजन देते हैं हनुमान जी को हिंदू धर्म में वानर के रूप में पूजा जाता है, भक्त लोग अपने दुख दर्द दूर करने की प्रार्थना करते हैं और भगवान का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं, तमिलनाडु में इसे हनुमंत जयंती के नाम से भी जाना जाता है, इसका उत्सव 41 दिन तक चलता है।
ये चैत्र पूर्णिमा को प्रारंभ होकर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष के दसवें दिन समाप्त होता है द्रिक पंचांग के अनुसार तमिलनाडु में आज 11 जनवरी को हनुमंत(हनुमान)जयंती मनाई जा रही है।
तमिल हनुमान जयंती 2024 पूजा प्रक्रिया:
- सुबह उठते ही पवित्र जल से स्नान करे।
- सुबह नहाकर स्वच्छ वस्त्र पहन कर लाल कपडे पर हनुमान जी की पंचमुखी मूर्ति या चित्र की स्थापना करे।
- मूर्ति के चारो तरफ पुष्प माला रखे।
- हनुमान जी को शुद्ध देशी घी में सिन्दूर मिलाकर मूर्ति पर लगायें सिन्दूर के ऊपर चांदी के बर्क से भगवान का श्रृंगार करें।
- भगवान हनुमान की मूर्ति के सामने दीया जलाएं।
- हनुमान जी को भोग में नारियल, फल और मिठाइयाँ रखे भोग में बेसन की बूंदी का प्रसाद लगाएं।
- सुगंधित धूप दिखाये और सूत का बना जनेऊ समर्पित करे।
- हनुमत जयंती के विशेष अवसर पर हनुमानजी से मंगल कामना करें और आरती करें।
- भक्त लोग इस दिन उपवास करते हैं और शाम को मंदिर जाकर हनुमानजी के दर्शन करते हैं और प्रसाद ग्रहण करके उपवास खोलते हैं।
नीचे मंत्रों का जाप कर सकते हैं
“ओम नमो भगवते हनुमते नमः”
अर्थ: हे हनुमानजी ! हमारे सर्व शत्रु का नाश कीजिये, अपनी कृपा दृष्टि से सर्व रोगो का हरण कीजिये हे राम दूत ! हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि आपकी कृपा से हमारे सभी कार्यों में कीर्ति और सफलता प्राप्त हो, हे संकटमोचन ! हम आपको प्रणाम करते हैं।
“ॐ हं हनुमते नमः”
ये मंत्र हनुमानजी की अभिनव शक्ति का प्रतीक और सकारात्मकता, बल, संयम और विजय प्रदान करने वाला माना जाता है।
भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे|
संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरे हनुमत बल वीरा|
हनुमान जी को क्यों पूजा जाता है?
हनुमान जी के कुछ विशिष्ट गुणो का यहाँ वर्णन किया जाता है-
- चिरंजीवी(अमर): रामायण और राम कथा के विविध संस्मरण संकेत करते हैं कि हनुमान जी को अमर होने का आशीर्वाद प्राप्त है।
- ब्रह्मचारी(आत्मसंयमी): वे जो भौतिक जगत की सभी भौतिकवादी चीजों से अपनी वासना को नियंत्रित करते हैं।
- कुरुप और सुंदर: हिंदू ग्रंथो में उनका वर्णन बाहर से कुरुप (बदसूरत) लेकिन दिव्य रूप संपन्न के रूप में किया गया है हनुमान चालीसा में उन्हें पिघले हुए सोने के रंग (कंचन वरण विराज सुबेसा) के समान सुंदर बताया गया है।
- शक्ति सम्पन्न : हनुमान असाधारण रूप से शक्ति शाली है किसी भी उद्देश्य के लिए कोई भी बोझ उठाने में सक्षम है उनकी इस विशेषता को दरशाते हुए उन्हें वीर, महावीर, महावली और अन्य नामों से बुलाया जाता है।
- अभिनव: हनुमानजी को ऐसे देवता के रूप में वर्णित किया गया है जो कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं जहां विपरीत स्थितियां उनके अस्तित्व को संकट में डाल सकती हैं वे उन विपरीत स्थितियों को भी मोड़ने का अनोखा तरीका खोज लेते हैं।
- भक्त: हनुमान जी को राम और सीता के अनुकरनिय भक्त के रूप में पूजा जाता है, भागवत पुराण, भक्त माल, आनंद रामायण और रामचरितमानस जैसे हिंदू ग्रंथ उन्हें ऐसे भक्त के रूप में प्रस्तुत करते हैं जो प्रतिभाशाली, मजबूत, उदार, और आध्यात्मिक रूप से भगवान राम के प्रति समर्पित हैं।
- विद्वान् योगी: तुलसीदास जी ने अपने ग्रंथो में हनुमान जी के जिन गुणों का वर्णन किया है उनमें वेदांत दर्शन के ज्ञाता, गायक, संगीतकार, व्याकरणविद, वेदो के विद्वान, एक कवि और एक बहुग्य जैसे उत्कृष्ट गुण शामिल हैं।
- अपने भक्तों को आठ सिद्धियों और नव निधियों के दाता: हनुमान जी को आठ शास्त्रीय सिद्धियों और नव निधियों के दाता के रूप में वर्णित किया गया है रोग पीड़ा, और दुखों को दूर करने वाले के रूप में उनकी पूजा की जाती है।
- राक्षसो, बुरी आत्माओ,और नकारात्मक ऊर्जाओ के संघारक: भूत,बुरी आत्माओ, और बुरे इरादे वाले मनुष्यो जैसे नकारात्मक प्रभावो से छुटकारा पाने के लिए हनुमान जी की पूजा की जाती है।
- श्री राम और अपने भक्तों के रक्षक: हनुमान जी को भगवान राम के द्वारपाल और अपने भक्तों के रक्षक के रूप में पूजा जाता है, सच्चे मन से प्रार्थना को हनुमान जी स्वीकार करते हैं, उन्हें संकटमोचन भी कहा जाता है।
पंचमुखी या पाञ्चमुखी हनुमान जी के दर्शन का फल
- हनुमान जी के मुख की दिशा से उनकी कृपा या फल का अनुमान किया जाता है पूर्व या मुख वाला चेहरा मनुष्य को पवित्रता और सफलता देने का प्रतीक है।
- जब हनुमानजी दक्षिण मुखी होते हैं तो विजय और निर्भयता प्रदान करते हैं।
- पश्चिम की ओर मुख वाले हनुमान जी (महावीर गरुड़) काले जादू और जहर से रक्षा करते हैं।
- उत्तर दिशा की ओर मुख वाले हनुमानजी समृद्धि और धन के प्रतीक हैं।
- और आकाश की ओर मुख वाले हनुमानजी (हयग्रीब) को ज्ञान और संतान प्रदान करने के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
FAQs:
Q: हनुमान जी की वास्तविक आयु कितनी है?
A: हनुमान जी का अबिर्भाव अलगभाग 25.9 लाख वर्ष पूर्व हुआ था, हनुमान जी साहस और करुणा के देवता हैं।
Q: हनुमान जी का पसंदीदा भोजन क्या है?
A: परंपरा के अनुसर भगवान हनुमान को 3 प्रकार के लड्डुओं का भोग लगता है एक है केसरिया बूंदी का लडडू दूसरा है बेसन का लडडू और तीसरा है मलाई मिश्री का लडडू, हनुमान जी को सबसे ज्यादा बेसन का लडडू पसंद है।
Q: तमिल हनुमान जयंती क्यो मनाई जाती है?
A: हनुमान जयंती हनुमान जी के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है ये मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में मनाई जाती है, इसे हनुमत जयंती भी कहा जाता है।
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